सोमवार, 29 जून 2009

शिबू सोरेन ने मुंह खोला तो कांग्रेस के होश उड़े
नई दुनिया, 30 जून 2009, पेज 10

रविवार, 28 जून 2009

पलामू के किसान मांग रहे हैं इच्छामृत्यु
जमीन से निकली आग

नई दुनिया 29 जून 2009 पेज 10

मंगलवार, 23 जून 2009

झारखंड में सरकार को लेकर असमंजस बरकरार
नई दुनिया, 24.06.09 पेज 10

रविवार, 21 जून 2009

सरकार गठन के लिए दिल्ली की दौड़ शुरू
झारखंड राजद में बढ़ा विवाद

नई दुनिया 22 जून पेज 11

शनिवार, 20 जून 2009

स्कूलों की मनमानी पर लगाम
नई दुनिया पत्रिका, 21 जून 2009 पेज 24.25

बुधवार, 3 जून 2009

झारखंड की इंटर परीक्षा में रसोइया टोपर

विष्णु राजगढ़िया
रांची - झारखंड इंटरमीडिएट कौंसिल का इस वर्ष का परीक्षाफल चौंकाने वाला है। इंटरमीडिएट आटर््स में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों में बेहद निर्धन पृष्ठभूमि वालों की बड़ी संख्या है। राज्य में आइए का टॉपर बनना संजीत महतो एक रसोइये का काम करते हुए अपनी पढ़ाई करता रहा। वह पुरलिया जिले के मुरगुमा का रहने वाला है। वह एक अच्छा एथलीट भी है। वह एक किसान परिवार से आता है और परिवार काफी तंगहाली से गुजारा करता है। वह रांची के चुटिया स्थित ग्रेट इंडिया लॉज के मेस में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए खाना बनाकर अपना गुजारा चलाता है। उसे कुल 379 अंक मिले हैं। इतने ही अंक लाकर धनबाद जिले के मैथन की फौजिया रहमान भी संयुक्त टॉपर बनी है। सेकेंड टॉपर नरगिस नाज के पिता गांव में ही एक छोटी सी खाद की दुकान चलाते हैं। नरगिस रांची जिले के चान्हो स्थित वीर बुधु भगत इंटर कॉलेज की छात्रा है।थर्ड टॉपर नीलम केरकेट्टा की मां ने लोकल ट्रेन में बैर-जामुन बेचकर बेटी को पढ़ाया और आज मां-बेटी खुश है कि शिक्षा के जरिये भविष्य संवर जायेगा। नीलम ने लापुंग थाना क्षेत्र के एक सुदूर गांव से प्रतिदिन साइकिल से दस किलोमीटर दूर लुथरेन इंटर कॉलेज आकर पढ़ाई की। राज्य की चौथी टॉपर सलमा खातून के पिता जुम्मन खां एक्साइज विभाग में ड्राइवर के बतौर कार्यरत हैं। सलमा रांची के उर्सलाइन इंटर कॉलेज की छात्रा है।राज्य की पांचवीं टॉपर रंजु कुमारी के पिता संतोष उरांव का 2003 में निधन हो गया था। इसके बाद रंजु की मां फागुनी देवी ने हड़िया बेचकर उसे पढ़ाया। रामगढ़ कॉलेज की रंजू कुमारी ने शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखकर यह मुकाम हासिल किया है। कोल्हान क्षेत्र में सेकेंड टॉपर का स्थान हासिल करने वाला शत्रुघन महतो हाट-बाजार में जूते-चप्पल बेचकर गुजारा चलाता है।

नई दुनिया, 04.06.2009 पेज 11

राज्यसभा सीटों के लिए जोड़तोड़
नई दुनिया, 04.06.2009 पेज 11
टोपी उतारने पर कड़ी सजा
नई दुनिया पत्रिका 14 जून 2009

http://epaper.naidunia.com/Details.aspx?id=66037&boxid=107939680

मंगलवार, 2 जून 2009

नेशनल गेम का अधूरा सपना
विष्णु राजगढ़िया
नई दुनिया पत्रिका, 31 मई 2009 पेज 32 पेज 33
झारखंड ने देश को महेंद्र सिंह धौनी जैसा क्रिकेट कप्तान दिया है। हॉकी और तीरंदाजी में भी इस राज्य के खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है। वर्ष 2003 में जब झारखंड को 34 वें नेशनल गेम का दायित्व सौंपा गया तो खिलाड़ियों व खेलप्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। उस वक्त 2007 में इसके आयोजन का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन पांच बार तिथि टलने से पूरे उत्साह पर पानी फिर गया है।
नेशनल गेम हर दो साल पर किसी एक राज्य में कराने का प्रावधान है। नेशनल गेम का उद्देश्य देश में खेल प्रतिभाओं को उभारना, सभी राज्यों में खेल संस्कृति और अधिसंरचना का विकास करना और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में देश का नेतृत्व करने योग्य खिलाड़ियों को सामने लाना है। लेकिन तथ्य बताते हैं कि हाल के वर्षों में भारतीय ओलंपिक संघ इस दिशा में नाकाम रहा है। इसका खामियाजा देश की खेल प्रतिभाओं को भुगतना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में भारत लगातार पिछड़ रहा है। हर असफलता के बाद घड़ियाली आंसू बहाये जाते हैं लेकिन नेशनल गेम के आयोजनों को गंभीरता से कराने को कभी प्राथमिकता के बतौर नहीं लिया जाता।