गुरुवार, 20 अगस्त 2009

पचास नागरिकों को मिलेगा आरटीआइ सिटिजन अवार्ड
रांची: सूचना कानून की चैथी वर्षगांठ पर झारखंड के पचास नागरिकों को आरटीआइ सिटिजन अवार्ड दिया जायेगा। झारखंड आरटीआइ फोरम और सिटिजन क्लब ने यह आयोजन किया है। इसके लिए नामांकन 15 सितंबर तक आमंत्रित हैं। झारखंड का कोई नागरिक स्वयं अपने लिए अथवा किसी अन्य के लिए नामांकन भेज सकता है। इसके लिए सूचना कानून के तहत किये गये कार्यों, सफलता के विवरण एवं संबंधित दस्तावेजों की फोटो कापी के साथ अपना पूरा पता, फोन नंबर, ईमेल पता इत्यादि भेजना होगा। यह घोषणा झारखंड आरटीआइ फोरम के अध्यक्ष बलराम एवं सचिव विष्णु राजगढ़िया ने की है।
नामांकन भेजने का पता है-
झारखंड आरटीआइ फोरम, 4-सी, घराना पैलेस, संध्या टावर, पुरलिया रोड, रांची।
विशेष जानकारी आरएन सिंह से 9430246440 नंबर पर मिलेगी।
rtistory.blogspot.com तथा rti.net.in पर भी जानकारी मिलेगी।
ई-मेल पता है- rtistory@gmail.com

1 टिप्पणी:

  1. गिरिजेश्वर, मैथन, धनबाद।22 अगस्त 2009 को 8:57 am बजे

    विष्णु जी,
    झारखंड के पचास नागरिकों को आरटीआई सिटिजन अवार्ड देने का फैसला स्वागत योग्य है.इससे नागरिकों में इस कानून के तहत कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी.आपलोगों के प्रयास से इस कानून के प्रति लोगों की जिज्ञासा बढ़ी है.इस कानून का इस्तेमाल हो रहा है.इसके फायदे भी सामने आ रहे हैं.
    इसी के साथ यह भी सच है कि जिस पैमाने पर इस कानून का प्रचार होना चाहिए था वह अभी तक नहीं हुआ है.धनबाद या ऐसे शहरों और छोटे कस्बों में ऐसा कोई संगठन नहीं है जो लोगों को इस कानून के बारे में जानकारी दे.एक आवेदन तैयार करने वाले भी नहीं मिलते हैं.
    जरुरत है कि छोटे शहरों और कस्बों में भी ऐसा फोर्स तैयार किया जाए जो इस कानून का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने में नागरिकों को मदद करे.
    आरटीआई कानून वैसे तो काफी अच्छा है.इसके लाभ भी हो रहे हैं.परन्तु इस कानून में संशोधन की भी आवश्यकता है.अपने देश का ब्यूरोक्रेटस इतना बेशर्म है कि उसे पुचकार कर सुधारा नहीं जा सकता है.जब तक उसके उपर कड़ी सजा की तलवार नहीं लटकाई जाएगी वह सुधरने वाला नहीं है.वे इस कानून के साथ भी खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं.तीस दिनों के अंदर सूचना उपलब्ध नहीं कराते हैं.अपील में जाने पर भी सूचना नहीं मिलती है. दूसरे अपील में जाने पर सुनवाई तो होती है परन्तु सूचना आयोग में बैठे सूचना आयुक्तों का रुख सूचना उपलब्ध नहीं कराने वाले अफसरों के प्रति काफी नरम होता है.इससे ढिठाई करने वाले अफसरों का मनोबल बढ़ता है. कई बार सूचना आयोग के निर्देश के बावजूद सूचनाएँ नहीं दी जाती है.
    दरअसल,अफसरों को किसी बात का भय रहता ही नहीं है. जुर्माना लगाने का प्रावधान तो हो लेकिन पिछले चार वर्षों का रिकार्ड देखें तो साफ है कि मात्र दस प्रतिशत अफसरों पर ही जुर्माना किया गया.आखिर क्यों ?
    आरटीआई कानून को ठीक से लागू करवाने के लिए इसे एक जनांदोलन का रुप देना होगा.अन्यथा समय के साथ इस कानून का भी वैसा ही माखौल उड़ाया जायेगा जैसा देश के अन्य कानूनों के साथ हो रहा है.
    - गिरिजेश्वर, मैथन, धनबाद।

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