शनिवार, 1 अगस्त 2009

लालू के करीबी डॉ राणा को पांच साल जेल
विष्णु राजगढ़िया
रांची : लालू यादव के खास करीबी डॉ आरके राणा को चारा घोटाले में पांच साल कैद की सजा मिली है। राजद के पूर्व सांसद डॉ राणा पहले ऐसे राजनेता हैं, जिन पर दोष साबित हुआ है। लगभग एक हजार करोड़ के इस चारा घोटाले के अन्य पांच मामलों में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद एवं डॉ जगन्न्ाथ मिश्र भी अभियुक्त हैं। उनमें से तीन मामलों की सुनवाई भी तेज हो जाने से लालू प्रसाद व राजद का राजनीतिक संकट गहरा होता जा रहा है।
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश बीके झा 'प्रवीर ने आरसी 22 ए/96 मामले के 12 अभियुक्तों को आज सजा सुनायी। डॉ राणा को पांच साल कैद के अलावा चार लाख का जुर्माने की सजा सुनायी गयी है। आपूर्तिकर्ता त्रिपुरारी मोहन प्रसाद एवं बजट अधिकारी ब्रजभूषण प्रसाद को पांच साल कैद और 4.90 लाख जुर्माने की सजा मिली है। गोड्डा के तत्कालीन डीवीओ डॉ शशि कुमार सिन्हा को साढ़े चार साल की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा मिली है। गोड्डा के दो तत्कालीन ट्रेजरी अधिकारियों उमेश प्रसाद सिंह एवं कृष्णदेव प्रसाद सिन्हा को चार साल की कैद और 55 हजार रुपये जुर्माने की सजा मिली है। पूर्व ट्रेजरी क्लर्क सतीशचंद्र झा एवं भानुकर दुबे को चार साल की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा मिली है। आपूर्तिकर्ता दयानंद कश्यप को साढ़े चार साल की कैद और 4.10 लाख जुर्माना, आपूर्तिकर्ता सुनील कुमार सिन्हा को चार साल कैद और पांच लाख जुर्माना, आपूर्तिकर्ता सुशील कुमार सिन्हा को साढ़े तीन साल कैद और 4.10 लाख का जुर्माना तथा आपूर्तिकर्ता संजय शंकर को साढ़े तीन साल कैद और 40 हजार रुपये जुर्माना की सजा मिली है।
इससे पहले कल आपूर्तिकर्ता सरस्वती चंद्रा को दो साल कैद और 20 हजार तथा फूल सिंह को ढाई साल कैद और 30 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी गयी थी।
अदालत ने फैसले में कहा है कि इन अभियुक्तों ने साजिश करके फरजी निकासी की। इस मामले में सीबीआइ ने पूर्व सांसद डॉ आरके राणा पर अपने राजनीतिक संबंधों का लाभ उठाकर घोटालेबाजों को संरक्षण देने तथा स्थानांतरण और पदस्थापन कराने का आरोप लगाया था। यह मामला 1992 में गोड्डा जिला कोषागार से 28.26 लाख रुपये की अवैध निकासी का है। इस मामले में कुल 20 अभियुक्त दोषी थे। इनमें चार अभियुक्तों डॉ श्याम बिहारी सिन्हा, श्यामचंद्र झा, डॉ जगदीश नारायण प्रसाद, डॉ शेषमुनि राम का निधन हो चुका है। दो अभियुक्त महेंद्र प्रसाद, सुशील झा अपना अपराध कबूल कर सरकारी गवाह बन गये हैं। इस मामले में 28.02.1996 को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी तथा सीबीआइ ने 26.02.1999 को इस मामले में चार्जशीट दायर किया था। इस मामले में 17.08.2004 को आरोप गठन हुआ था।
डॉ आरके राणा जब पटना के वेटनरी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान उनका लालू प्रसाद से गहरा रिश्ता बन गया था। बाद में डॉ राणा उसी वेटनरी कॉलेज में पोल्ट्री फार्म के प्रभारी बन गये। वहीं आवास भी ले लिया। राजनीतिक शुरूआत के दौरान डॉ राणा के यहां लालू का ठिकाना था। बाद में जब लालू प्रसाद मुख्यमंत्री बने तो पशुपालन विभाग में आपूर्ति से लेकर स्थानांतरण और पदस्थापन में डॉ राणा की महत्वपूर्ण भूमिका हो गयी। सीबीआइ के एक गवाह ने अदालत को दिये गये बयान में डॉ राणा पर चालीस करोड़ से भी ज्यादा राशि वसूलने का आरोप लगाया था। 1996 में सीबीआइ ने चारा घोटाले की जांच के दौरान डॉ राणा के ठिकानों से आठ करोड़ की संपत्ति जब्त की थी। चारा घोटाले में गंभीर आरोपों के बावजूद लालू प्रसाद ने उन्हें 1995 के विधानसभा चुनाव में गोपालपुर से टिकट देकर विधायक बनाया। बाद में वह खगड़िया से सांसद बने। 2009 के लोकसभा चुनाव में वह हार गये।
Nai Dunia 02-08-2009

1 टिप्पणी:

  1. ham to laloo ki aash me the, khair ye bhi kam nahi ki mukadma abhi bhi chal raha hai, kuchh ko saza mil rahi hai to kuchh bahar ghum rahe hai sansad ki shan badha rahe hain

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