रविवार, 30 अगस्त 2009

कॉमनवेल्थ गेम के लिए बिजली मिलना मुश्किल
विष्णु राजगढ़िया
रांची : दिल्ली में कामनवेल्थ गेम्स 2010 के लिए बिजली मिलने की राह मुश्किल होती जा रही है। गेम के लिए 2500 मेगावाट बिजली देने का दायित्व डीवीसी पर है। इसके लिए डीवीसी कई नयी विद्युत परियोजनाओं पर बरसों से काम कर रहा है। लेकिन डीवीसी के अध्यक्ष की कुरसी खाली होने के कारण सभी परियोजनाएं लगातार पिछड़ती जा रही है। समझा जाता है कि कामनवेल्थ गेम के समय तक डीवी अपनी परियोजनाएं पूरी नहीं कर सकेगा। ऐसे में कामनवेल्थ गेम के ऐन मौके पर बिजली के लिए तरसना पड़ सकता है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स एसोसिशन के अध्यक्ष पद्मजीत सिंह ने आज प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इन तथ्यों की विस्तृत जानकारी दी है। पत्र के अनुसार चंद्रपुरा की सात नंबर यूनिट को 31 अगस्त 2009 तक 250 मेगावाट बिजली के उत्पादन का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन वहां अब भी काम अधूरा होने के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पायेगा। मालूम हो कि चंद्रपुरा यूनिट नंबर सात एवं आठ को जनवरी 2007 में ही 250-250 मेगावाट बिजली उत्पादन करना था। लेकिन उर्जा मंत्रालय उसे बार-बार अवधि विस्तार देता आया है। हर बार उसे असफलता हासिल लगी। इस बार फिर अवधि बढ़ाने की नौबत आ गयी है। पत्र में पद्मजीत सिंह ने लिखा है कि चंद्रपुरा बिजली परियोजना में हुआ विलंब महज इस बात का संकेत है कि अन्य परियोजनाओं का क्या हश्र होने जा रहा है। पत्र के अनुसार डीवीसी की रघुनाथपुर, कोडरमा, मेजिया-2 तथा दुर्गापुर परियोजनाएं भी काफी पिछड़ गयी हैं।डीवीसी में अध्यक्ष का पद दिसंबर 2008 से खाली है। जून 2009 में नये अध्यक्ष के बतौर श्रीमत पांडेय का चयन हुआ था। वह राजस्थान में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव हैं। राजस्थान सरकार द्वारा विमुक्त नहीं किये जाने के कारण वह डीवीसी में कार्यभार नहीं संभाल पाये हैं। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में डीवीसी की सारी परियोजनाएं पिछड़ गयी हैं। इस संबंध में डीवीसी इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एके जैन ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी पत्र भेजा है। श्री जैन ने अध्यक्ष के अभाव में कामनवेल्थ गेम के लिए बिजली मिलना मुश्किल होने की सूचना देते हुए श्रीमती दीक्षित से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है। श्री जैन के अनुसार अगर अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए नये सिरे से प्रक्रिया शुरू की गयी तो और छह महीने लग जायेंगे तथा सारी परियोजना काफी पीछे चली जायेंगी।

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